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Sunday, July 6, 2025
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अब्बास अंसारी अभी जेल में ही रहेंगे, मऊ कोर्ट ने सजा कम करने की याचिका की खारिज

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माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर के पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को मऊ सेशन कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव कुमार वत्स की फास्ट ट्रैक कोर्ट नंबर 1 ने हेट स्पीच मामले में उनकी 2 साल की सजा को बरकरार रखते हुए अपील खारिज कर दी है. हालांकि, कोर्ट ने अब्बास की अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ा दिया है.
31 मई को मऊ की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) कोर्ट ने अब्बास अंसारी को 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराया था. साथ ही उन्हें 2 साल की सजा और 11,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था. इस सजा के बाद 1 जून को उनकी मऊ सदर विधानसभा सीट से सदस्यता रद्द कर दी गई थी. इसके खिलाफ अब्बास के वकील दरोगा सिंह ने सेशन कोर्ट में अपील दायर की थी.
शासकीय अधिवक्ता अजय कुमार सिंह ने बताया कि अब्बास अंसारी ने तीन प्रार्थना-पत्र दायर किए थे. पहला, उनकी अंतरिम जमानत को स्थायी जमानत में बदलने की मांग. दूसरा, 2 साल की सजा पर रोक लगाने की अपील. तीसरा, दोषसिद्धि को रद्द करने की मांग. कोर्ट ने इससे अंतरिम जमानत को स्थायी जमानत में बदल दिया, लेकिन साथ ही सजा पर रोक लगाने और दोषसिद्धि रद्द करने की अपील को भी खारिज कर दिया.

क्या था पूरा मामला?

यह मामला 3 मार्च 2022 का है. जब मऊ के पहाड़पुरा मैदान में एक चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी ने कथित तौर पर प्रशासनिक अधिकारियों को धमकी दी थी. उन्होंने कहा था कि सरकार बनने पर अधिकारियों का हिसाब-किताब किया जाएगा और उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग पर रोक लगाई जाएगी. इस बयान को भड़काऊ मानते हुए मऊ कोतवाली में सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की शिकायत पर अब्बास, उनके भाई उमर अंसारी और उनके चुनावी एजेंट मंसूर अंसारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. यह केस भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506, 171एफ, 186, 189, 153ए और 120बी के तहत दर्ज हुआ था. बता दें कि कोर्ट ने इस मामले में उमर अंसारी को बरी कर दिया था, लेकिन अब्बास और मंसूर को दोषी ठहराया था.

अब केवल हाईकोर्ट का ही रास्ता बचा:


सजा बरकरार रहने के कारण अब्बास की विधायकी बहाल होने की संभावना खत्म हो गई है. अब उनके पास इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील दायर करने का विकल्प बचा है. शासकीय अधिवक्ता ने कहा कि निचली अदालत का फैसला विधिसम्मत है और उसमें हस्तक्षेप का कोई आधार नहीं है. इस फैसले ने मऊ और पूर्वांचल में राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है. अब्बास अंसारी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के टिकट पर 2022 में मऊ सदर से विधायक थे।

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