(संवाद सूत्र) गाजीपुर। पुलिस की दबंगई और मनमानी इस बार भारी पड़ गई। गाजीपुर के गहमर थाने की टीम ने बिहार के भभुआ जिले में फिल्मी स्टाइल में एक दुकानदार को उठाया, चार घंटे तक गायब रखा और फिर चुपचाप छोड़ दिया। बगैर किसी अनुमति और कानूनी प्रक्रिया के की गई इस “अपहरणनुमा कार्रवाई” का पर्दाफाश होते ही गाजीपुर पुलिस कप्तान डॉ. ईरज राजा ने बड़ा एक्शन लिया—थाना प्रभारी अशेषनाथ सिंह समेत चार सिपाही मनोज दूबे, प्रमोद कुमार, शिवकुमार पाल और अमरजीत पाल को निलंबित कर , थाने की कमान भी छीन ली गई।
क्या है पूरा मामला?
दिलदारनगर (गाजीपुर) का एक युवक पिछले तीन साल से भभुआ के रामगढ़ बाजार में सूर्य सरोवर के पास किराए के मकान में रहकर दुकान चला रहा है। वह पोखरे के किनारे टहल रहा था, तभी सादे वर्दी में आए गहमर थाने के पुलिसकर्मियों ने बातचीत के बहाने उसे बीआरसी की दीवार के पास बुलाया और पहले से खड़ी सफेद गाड़ी में ठूंसकर फरार हो गए।
कुछ ही देर में इलाके में अपहरण की खबर जंगल की आग की तरह फैल गई। रामगढ़ थाने की पुलिस हरकत में आई, CCTV फुटेज खंगाले गए और पूरी सच्चाई सामने आई।
बिना इजाजत दूसरे राज्य में कार्रवाई!
बिहार पुलिस ने जब गाजीपुर के एसपी से संपर्क किया तो डॉ. ईरज राजा भी हैरान रह गए। उन्होंने तत्काल गहमर थाना प्रभारी से जवाब-तलब किया। जवाब मिला—“दुकानदार हेरोइन तस्कर है।”
लेकिन जब पूछा गया कि बिना अनुमति बिहार की सीमा में कैसे घुस गए? पकड़ा तो फिर छोड़ा क्यों? कोई जवाब नहीं मिला।
एसपी का सख्त फैसला:
जांच में गहमर थाना प्रभारी और चार सिपाहियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई। नियमों की धज्जियां उड़ाई गईं। बिना अनुमति दूसरे राज्य में घुसकर कार्रवाई करना गंभीर उल्लंघन माना गया। इसके बाद एसपी ने निलंबन की कार्रवाई करते हुए थाने की कमान भुड़कुड़ा थानाध्यक्ष शैलेश मिश्रा को सौंप दी।
गहमर थाना पुलिस की मनमानी ने न सिर्फ यूपी पुलिस की छवि धूमिल की, बल्कि कानून की सरेआम धज्जियां भी उड़ाईं—अब जवाबदेही तय हुई है।
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