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Monday, June 23, 2025
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गाजीपुर: विश्वविद्यालय स्थापना कि मांग को लेकर विश्वविद्यालय निर्माण मंच के नेतृत्व में छात्रों ने मुख्यमंत्री के नाम संबोधित पत्रक जिलाधिकारी को सौंपा..

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गाजीपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कल गाजीपुर दौरे से पहले, जिले में एक राज्य पोषित विश्वविद्यालय की दशकों पुरानी मांग ने फिर जोर पकड़ा है। ‘विश्वविद्यालय निर्माण मंच’ के नेतृत्व में छात्रसंघ प्रतिनिधिमंडल ने आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक महत्वपूर्ण मांग पत्र सौंपा है, जिसमें स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर को विश्वविद्यालय में उन्नत करने और जिले में एक नए विश्वविद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा गया है। जिलाधिकारी ने छात्रों को आश्वस्त किया है कि यह महत्वपूर्ण मांग मुख्यमंत्री तक अवश्य पहुंचाई जाएगी।
गाजीपुर में 364 से अधिक कॉलेज हैं और 3.5 लाख से अधिक छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। हालांकि, उन्हें उच्च शिक्षा के लिए लगभग 115 किलोमीटर दूर जौनपुर स्थित वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जाना पड़ता है। इससे छात्रों का अमूल्य समय और धन तो बर्बाद होता ही है, खासकर ग्रामीण और कमजोर वर्ग की छात्राओं के लिए यह उच्च शिक्षा प्राप्त करने में एक बड़ी बाधा है, जिससे वे अक्सर अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पातीं।
विश्वविद्यालय निर्माण मंच के अध्यक्ष दीपक उपाध्याय ने मुख्यमंत्री की ‘एक जनपद एक विश्वविद्यालय’ योजना का हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि गाजीपुर जैसे ऐतिहासिक और शैक्षणिक रूप से समृद्ध जिले का अब भी इस महत्वपूर्ण सुविधा से वंचित रहना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने जोर दिया कि स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर के पास विश्वविद्यालय बनने की सभी आवश्यक क्षमताएं हैं, जैसे विशाल भूमि (77.20 एकड़ से अधिक), सुदृढ़ आधारभूत संरचना और पर्याप्त वित्तीय कोष। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसे विश्वविद्यालय में उन्नत करने से सरकार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा, बल्कि यह जनपद को एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय प्रदान करेगा, जिससे छात्रों को बेहतर उच्च शिक्षा के लिए अन्य जिलों का सहारा नहीं लेना पड़ेगा और सरकार की ‘एक जनपद एक विश्वविद्यालय’ की महत्वाकांक्षी योजना भी सफल होगी।
पूर्व छात्रसंघ महामंत्री सुधांशु तिवारी ने कहा, “विश्वविद्यालय न होने से हमारी बेटियों का भविष्य दांव पर लग जाता है। समान शिक्षा के अधिकार से उन्हें वंचित रहना पड़ता है, जो अत्यंत पीड़ादायक है। एक विश्वविद्यालय गाजीपुर की बेटियों के लिए उच्च शिक्षा के बंद दरवाजों को खोल देगा।”
छात्र नेता शिवम उपाध्याय ने दृढ़ता से कहा, “गाजीपुर में विश्वविद्यालय बनने के सभी मानदंड पूरे होते हैं। हमारे जिले में 364 से अधिक महाविद्यालय हैं, जो एक विश्वविद्यालय की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। अब और विलंब असहनीय है।”
आरती बिन्द और शैलेश यादव ने विशेष रूप से ग्रामीण आबादी और छात्राओं की दुर्दशा को उजागर करते हुए कहा, “अपने ही जिले में विश्वविद्यालय का न होना, ग्रामीण छात्राओं के लिए एक अभिशाप जैसा है। कई बार आर्थिक और सामाजिक मजबूरियों के कारण उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ती है। यह केवल शिक्षा का प्रश्न नहीं, बल्कि उनके सशक्तिकरण और आत्मनिर्भरता का प्रश्न है।”
प्रकाश राय ने इस बात पर जोर दिया कि, “स्थानीय विश्वविद्यालय न केवल शिक्षा को सुलभ बनाएगा, बल्कि यह हमारी स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति देगा। नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे और जिले का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित होगा।”
सभी छात्रों ने एक स्वर में जिले के सभी जनप्रतिनिधियों से पुरजोर अपील की है कि वे कल की जिला विकास समीक्षा बैठक में इस ज्वलंत मुद्दे को मुख्यमंत्री जी के समक्ष प्रमुखता से उठाएं ताकि गाजीपुर के लाखों छात्रों का उच्च शिक्षा प्राप्त करने का सपना साकार हो सके व विश्वविद्यालय स्थापना कि मांग पूरी हो सकें।
पत्रक सौंपने वालों में मुख्य रूप से अमित राय, शैलेश सिंह यादव, विकास खरवार, हर्ष वर्धन दुबे, विनय सिंह, जावेद आलम, विशाल विश्वकर्मा, राहुल यादव, उत्तम साहनी, बाबूलाल गौतम, विकास सिंह, हर्ष दुबे, रजनीश राय, विधांशु राय, पुरुषोत्तम चौधरी, अमृतांश बिंद, मनीष बिंद, नीलेश बिंद और सैकड़ों छात्र उपस्थित थे।

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