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Sunday, June 22, 2025
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गाजीपुर: फर्जी हास्पिटल का खुलासा: असफल आपरेशन कर 80 हजार वसूले, पीड़िता ने डीएम, एसपी समेत मुख्यमंत्री से शिकायत कर की कार्रवाई की मांग

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सरकारी कार्रवाई की मांग, जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर भी उठे सवाल



उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले से एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया है, जहाँ एक महिला के साथ फर्जी  हास्पिटल के डॉक्टर ने न सिर्फ उसका स्वास्थ्य बर्बाद किया, बल्कि 80 हजार रुपये लूटकर धमकी देकर चलता बना।
जौनपुर जिले के कुसरना गांव निवासी पीड़िता ममता देवी, पत्नी सूर्यप्रकाश, जब अपने मायके  सादात थाना क्षेत्र के इकरा गौरा में बीमार हुईं तो उन्हें पास के बाजार सादात थाना क्षेत्र के मखदुमपुर में तनज क्लीनिक संचालित करने वाले डॉक्टर शहनवाज पुत्र बद्रे आलम के पास इलाज के लिए ले जाया गया। डीएम, एसपी समेत मुख्यमंत्री के शिकायतकती पत्र में पीड़िता ने बताई कि डॉक्टर ने बिना किसी वैध मेडिकल पेपर या सलाह के खून, शुगर और अल्ट्रासाउंड की जांच खुद ही की और तुरंत ऑपरेशन की सलाह दे डाली। जब पीड़िता ने किसी अच्छे और रजिस्टर्ड अस्पताल में इलाज कराने की बात की, तो डॉक्टर ने उन्हें बहला-फुसलाकर 26 अक्टूबर 2024 को ‘बच्चेदानी और गांठ’ का ऑपरेशन कर डाला, वो भी अपने अवैध अस्पताल में। डॉक्टर ने इलाज के नाम पर 80,000 हजार रूपए नकद वसूले, लेकिन न कोई रसीद दी, न कोई मेडिकल रिपोर्ट। कुछ ही दिनों में ममता देवी की हालत दोबारा बिगड़ गई, और जब दूसरी जगह अल्ट्रासाउंड कराया गया तो चौंकाने वाली बात सामने आई — महिला के शरीर में अब भी गांठ और घाव मौजूद हैं, यानी ऑपरेशन पूरी तरह असफल रहा।‌‌ जब पीड़िता इस बारे में डॉक्टर से जवाब माँगने गईं तो उसने गाली-गलौज और धमकी देते हुए कहा —

> “जो करना है कर लो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता।”



अब सवाल ये है:

क्या डॉ. शहनवाज के पास वैध डिग्री और अस्पताल का रजिस्ट्रेशन है?

आखिर क्लीनिक के आड़ में हास्पिटल कैसे चल रहे हैं, क्या क्लीनिक में भी आपरेशन होगा?

अवैध हॉस्पिटल और पैथोलॉजी सेंटर कैसे चल रहे हैं?

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की आंखें कब खुलेंगी?

स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की भूमिका पर भी उठते हैं सवाल।




पीड़िता की मुख्यमंत्री से मांग:

पीड़िता ने अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को शिकायती पत्र भेजकर पूरे प्रकरण की जांच, इलाज की राशि की वापसी, और डॉक्टर पर कानूनी कार्रवाई की मांग की है।
पीड़िता आज भी आर्थिक तंगी और शारीरिक पीड़ा से जूझ रही है। सरकार और स्वास्थ्य विभाग अगर समय रहते कार्रवाई नहीं करते, तो यह मामला और भी कई निर्दोष मरीजों की जान पर बन सकता है।

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